शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2009

खुशी


खुशी मेरे घर ऐसे आना चारो ओर खुशियां फैलाना

खुशियाँ ही खुशियाँ हो मेरे आस पास कुछ ऐसा कर जाना
जब आना तुम अपने साथ खुशियों का ख़जाना लाना

ऐ खुशी मेरे घर ऐसे आना

जैसे खुशियों का सागर हो

ऐसे आना जैसे खुशियों की बारिश हो

हर तरफ तुम्हरी ही खुशबू हो

अपने आने की अनुभूति ऐसे कराना

खूशबू का झोका का एहसास कराना

ख़ुशी तुम्हारी चाहत है

तुम्हारी ही आरजु है

बन जाओ मेरे घर की शोभा

ये ही मेरे गुजारिश है


7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी कोशिश. खुशियों के आग्रह की मासूमियत से पूर्ण!
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    लिखती रहिए शोभा जी.
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    हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]

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  2. खुशी की आपकी परिभाषा अच्छी लगी। आपके दामन में खुशियां ही खुशियां हों, हमारी यही कामना है।
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    स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
    चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।

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  3. खुशी हर पल आपके आँगन में रहे , यही हमारी भगवान से प्रार्थना है

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  4. A Khushi mere ghar aana
    jaise khushiyon ka sagar ho.
    Bahut sunser abhibyakti hai
    Badhai

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  5. निश्चल कामना बहुत सुंदर - शुभकामनाएं

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