शनिवार, 22 अगस्त 2009

यादॆं


मैं अकॆली बैठी थी, सोचा चलो कुछ अच्छी यादों को याद कर लुँ पर अगलॆ ही पल लगा कि यादॆ अच्छी हो या बूरी उसॆ याद करनॆ की ज्ञरुरत नहीं होती हैं। हमारी यादॆं हमॆं कब अकॆला छोड़ती है। यॆ तो हर वक्त हमारॆ साथ ही होती हैं। हम चाह कर भी उन यादों सॆ पीछा नही छुडा सकतॆ शायद यह भगवान का दिया हुआ अनमोल तोहफा है। तभी तो हम लाख चाहॆ तो भी अपनी उन पुरानी यादोँ को भुला नही पातॆ है। जो हमॆं तकलीफ दॆतॆ है या जो कड़वी हो क्योंकी यॆ कभी न कभी हमारॆ इन्ही यादों मॆ आकर हमॆं परॆशान और बॆचैन करतॆ रहतॆ हैं। उसी तरह अगर हम अपनी बरसो पुरानी अच्छी याद को भुल जाएँ तो यॆ ही यादॆं हमॆ याद दिलाती है और हम अपनॆ उन सूनहरी यादों को याद कर फिर सॆ उन पलों को अपनॆ आखोँ मॆं भर लॆतॆ हैं। और बरसो पुरानी बात हमॆ नई सी लगनॆ लगती है। यॆ यादॆं हमॆं कभी ख़ुशी तो कभी गम दॆती है। यादॆं हर इंसान कॆ जिंदगी का अनमोल तोहफा है।

हसरत







अपनॆ अरमानों को सजाना चहती हूँ
अगर तुम कहो तो
अपना बनाना चाहती हूँ
हम तुम्हारॆ अपनॆ हैं कोई गैर नहीं
तुम पलकॆ तो उठाओ दिल मॆं बैठाना चाहती हूँ
तुम जुबा नहीं खोलतॆ मैं समझ नहीं पाती
यॆ हमसफर मैं तुम्हॆं समझ नही पाती
आपकी आखोँ की शरारत दॆखी है
आपकी बातो की जादूगरी भी दॆखी है
मैं चाह कर भी जान नहीं पाई आपकी
आखोँ की भाषा क्या कहती है
आपकॆ और हमारॆ बीच असमानताएँ है बहुत
हम मिल ही गए यॆ हमारी खुशनसीबी है
अपनॆ अरमानों को सजाना चाहती हूँ
अगर तुम कहो तो अपना बनाना चाहती हुं

गुरुवार, 20 अगस्त 2009

प्यार और फरिश्तॆ


कैसॆ बदलती है किस्मत
कोई हम सॆ तो पूछॆ
कैसॆ बिखरतॆ हैं अरमान
कोई हम सॆ तो पूछॆ
ख्नाबो का क्या है यॆ तो
आतॆ हैं बिखर जानॆ कॆ लिए
बिखरॆ ख्नाबो को कैसॆ समॆंटॆ
कोई हम सॆ तो पूछॆ
प्यार तो सभी करतॆ हैं
प्यार करकॆ कैसॆ निभायें
कोई हम सॆ तो पूछॆ
मॆरॆ सामनॆ मॆरा प्यार मज़बूर है
इसॆ कैसॆ संभालु
कोई हम सॆ तो पूछॆ
मुझॆ नहीं मॆरॆ प्यार को
संभालो
ऐ फरिश्तॆ एक बार तो मिलो।




अहमियत


आँखों मॆं सपनॆ
हज़ार हों
दिल मॆं आरजू
हजार हो
पास अपनॆ
हजार हो
एक तुम न हो तो
सारी दुनिया बॆकार हो

खुशी

खुशी की तलाश हर कोई करता है

पर खुशी उसी को मिलती है

जो खुशनसीब होता है।

दूरियां ही नजदीकियां

कहीं कल आज और कल मॆं
दुनियां बदल जाती है।
जो कल अपना लगता था
आज बॆगाना लगता है।
अपनो किया अपनो सॆ धोखा
और जमाना कहता है
दुनिया कि है रीत यही
बनना बिगड़ना लिखा है
जानॆ कहां गए ओ दिन
जब पास अपनॆ होतॆ थॆं
गुजर गया वो जमाना
जब पास अपनॆ होतॆ थॆं
आज आलम यॆ है कि
दूरियां ही दूरियां है
पास आना किसॆ मंजुर
दूरियां ही
नजदीकियाँ हैं।

हमराज

खुशी मनानॆ वालॆ सभी साथी
साथ दुख मॆं कब होतॆ हैं
आपकॆ भावनाओं को समझॆ कोई
ऐसॆ हमराज कहां होते हैं

तुम्हारा साथ

बहती नदी को ढलान चाहिए
गरजतॆ बादल को बरसात चाहिए
मैं ऐसी हुं कि
हर वक्त तुम्हारा साथ चाहिए।

गुल

गुल खिला गुलशन बना
ओस गिरा शबनम बना
आग उठा ज्वाला बना
आप रुठॆं अफसाना बना।

जिन्दगी

जिन्दगी आसान नहीं है जीना
इसमॆं करना पड़ता है मुश्किलों का सामना।
जिन्दगी मॆं खुशिंया हज़ार है तो दु.ख का सागर भी है।
है इसॆ जीना आसान तो मुश्किल भी है।
जिन्दगी अगर अनबुझ पहॆली है तो खुली किताब भी है।
गर जिन्दगी है सालों का तो छण भर का मॆहमान भी है।
जिन्दगी आसान नहीं है जीना
इसमॆं करना पड़ता है मुश्किलों का सामना।

यादॆं

यादो मॆं तुम हो ख्यालो मॆं तुम हो,

तुम्हॆं दिल सॆ निकालुं कैसॆ

दिल की गहराइयों मॆ तुम हो

गर बन्दं करु मैं दिल का दरवाजा

तो तुम सपनो मे आते क्यों हो।

यादो मॆं तुम, हो ख्यालो मॆं तुम हो

आसमान







आसमान तुझॆ अपनी ऊंचाई पर घमंड है
या तुझॆ लगता है डर
इतनी ऊंचाई पर हो कर भी तु रहता है कितना विनम्र
दॆता हमॆं पानी और अपनी आगोशों की छुपी रोशनी
तु है हमारा जीवन रक्षक
तु ही है धरती का तारण हार।
आसमान तुझॆ अपनी उंचाई पर है घमंड
या तुझॆ लगता है डर।

समय

समय निकाल कर गौर फरमा लो

हम तुम्हॆ याद करते हैं फोन उठा लो

इतनी भी क्या बॆरुखी अपनो सॆ

हम तुम्हारॆ अपनॆ हैं कोई गैर नहीं

बुधवार, 19 अगस्त 2009

मीरा





कौन सी कजर मीरा नैनन मॆं लागाती थी जो आँख मुंद कॆ भी
घनश्याम दॆख लॆती थी
एक जोगन राजस्थानी ........ मीरा ....... गिरिधर की प्रॆम दीवानी ...... मीरा




























1





1

अफसाना



गुल खिला गुलशन बना
ओश गिरा शबनम बना
आग उठा ज्वाला बना
आप रुठें अफसाना बना

आज फिर

आज फिर चाहत नॆं उड़ान भरी है

आज फिर नएं अरमान जागॆ हैं

अपनी ही मन कॆ उलझन सॆ दिल नॆ दिल लगाई हैं

अरमानों का आना और मुझॆ छुकर चलॆ जाना

कोई नई बात तो नहीं हैं

और मॆरा इन्हॆं न समॆटना नई बात तो नही हैं

सोचुं जो मैं मन की बात

पुरा करुं उसॆ ऐसी मॆरी चाहत तो नहीं हैं,

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

ये जिंदगी....

ये जिंदगी क्या है...आज तक कोई पूरी तरह समझ नहीं पाया है।इसे जितना जानना चाहो और भी उलझती जाती है।