शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2009

खुशी


खुशी मेरे घर ऐसे आना चारो ओर खुशियां फैलाना

खुशियाँ ही खुशियाँ हो मेरे आस पास कुछ ऐसा कर जाना
जब आना तुम अपने साथ खुशियों का ख़जाना लाना

ऐ खुशी मेरे घर ऐसे आना

जैसे खुशियों का सागर हो

ऐसे आना जैसे खुशियों की बारिश हो

हर तरफ तुम्हरी ही खुशबू हो

अपने आने की अनुभूति ऐसे कराना

खूशबू का झोका का एहसास कराना

ख़ुशी तुम्हारी चाहत है

तुम्हारी ही आरजु है

बन जाओ मेरे घर की शोभा

ये ही मेरे गुजारिश है


शनिवार, 17 अक्तूबर 2009

दीवाली


जला लो दीप मन का आई है दीवाली
करलो रौशन अपना जहां आई है दीवाली
भर लो सारे जहां की रौशनी तुम अपने दामन में
चूक ना जाना तुम इस दीवाली में
माँग लो तुम आज जो है तुम्हारे मन में
देगी माँ लक्ष्मी अपार जो है तेरे मन में
दीप जलाओ खुशी मनाओ करो उज्जवल संसार
जला लो दीप मन का आई है दीवाली
करलो रौशन अपना जहां आई है दीवाली आज

रविवार, 27 सितंबर 2009

माँ




रहे साथ हर वक़्त तेरा
मेरा है बस तेरा सहारा
सून जगतजननी सारा संसार है तुम्हारा
मेरा तो है बस तेरा सहारा
तु नहीं मईया तो कौन देगा सहारा
सारा संसार है तुम्हारा
पर मुझे तेरा ही सहारा
कर जगदंबे
इधर भी द्रष्टि
मैं भी हूँ मईया तेरी अपनी
सारा संसार है तुम्हारा
मेरा तो बस तेरा सहारा
कर दे माँ तु जिस पर द्रष्टि
सँवर जाएगी उसकी जिदंगी
रहूं सदा मैं तेरी चरणों में
तु छुपा ले माँ मुझे अपनी आँचल में
सारा संसार है तुम्हारा
मेरा तो बस तेरा सहारा
कर सकुं तेरा गुणगान
जब तक रहे मेरे अंदर प्राण
दे माँ मुझे आर्शीवाद
सदा करु तुम्हारा गुणगान
सारा संसार है तुम्हारा
मेरा तो बस तेरा सहारा


प्यार

प्यार को प्यार से ही पाया जा सकता है
नफरत से नहीं
प्यार देना आसान है पर पाना मुश्किल

प्यार

दिल में प्यार है फिर भी नाराज़ है
एक ना एक दिन मिट जाएगी ये दूरी
फिर से आएगी खुशियों की टोली
उस दिन आएगी फिर से बहार
जब मिल जाएगें दो यार
इंतजार इधर भी है और उधर भी
ज़रुरत है बस एक कोशिश कि
मिटा दो अब इस दूरी को
बेमानी सी ये जिन्दगी को
मत करो रुसवा ये इस रिश्ते को
मिटा दो अपने इस दूरी को

बुधवार, 23 सितंबर 2009

मंजिल और आशा

मंजिले आसान नहीं होती

रास्ते सरल नहीं होते

कभी मंजिल दूर तो

कभी पास नज़र आती है

रास्ते कभी समतल तो

कभी पथरीले नज़र आते हैं

मन का क्या

इन में अरमानो का सागर है

सपनो की दुनिया है

आशाओं की प्रबलता है

कभी न मिल पाने वाली आशा है

आशा तो आशा है हमेशा रहेगी

मंजिल मिले न मिले

आशा हमेशा रहेगी

मंजिले...............

मंगलवार, 22 सितंबर 2009

चाँद







आ चलें हम चाँद पर चलें

हो न कोइ जहां ऐसी जगह चलें

मिले जहां दिल ऐसी जगह चलें

हो न कोई बंदिश ऐसी जगह चलें

न हो अपना कोई न हो बेगाना

जहां हो सिर्फ खुशियों का बसेरा

है कोई ऐसी जगह जहां हम चलें

जहां हो शांति का बसेरा

न हो शिक्वा न हो गिला क्या है कोई ऐसी जगह

जहां हम रह सकें सुकुन से थोड़ा

आ चलें हम चाँद पर चलें

जो यहां नहीं है शायद वहां मिले