रविवार, 27 सितंबर 2009

माँ




रहे साथ हर वक़्त तेरा
मेरा है बस तेरा सहारा
सून जगतजननी सारा संसार है तुम्हारा
मेरा तो है बस तेरा सहारा
तु नहीं मईया तो कौन देगा सहारा
सारा संसार है तुम्हारा
पर मुझे तेरा ही सहारा
कर जगदंबे
इधर भी द्रष्टि
मैं भी हूँ मईया तेरी अपनी
सारा संसार है तुम्हारा
मेरा तो बस तेरा सहारा
कर दे माँ तु जिस पर द्रष्टि
सँवर जाएगी उसकी जिदंगी
रहूं सदा मैं तेरी चरणों में
तु छुपा ले माँ मुझे अपनी आँचल में
सारा संसार है तुम्हारा
मेरा तो बस तेरा सहारा
कर सकुं तेरा गुणगान
जब तक रहे मेरे अंदर प्राण
दे माँ मुझे आर्शीवाद
सदा करु तुम्हारा गुणगान
सारा संसार है तुम्हारा
मेरा तो बस तेरा सहारा


प्यार

प्यार को प्यार से ही पाया जा सकता है
नफरत से नहीं
प्यार देना आसान है पर पाना मुश्किल

प्यार

दिल में प्यार है फिर भी नाराज़ है
एक ना एक दिन मिट जाएगी ये दूरी
फिर से आएगी खुशियों की टोली
उस दिन आएगी फिर से बहार
जब मिल जाएगें दो यार
इंतजार इधर भी है और उधर भी
ज़रुरत है बस एक कोशिश कि
मिटा दो अब इस दूरी को
बेमानी सी ये जिन्दगी को
मत करो रुसवा ये इस रिश्ते को
मिटा दो अपने इस दूरी को

बुधवार, 23 सितंबर 2009

मंजिल और आशा

मंजिले आसान नहीं होती

रास्ते सरल नहीं होते

कभी मंजिल दूर तो

कभी पास नज़र आती है

रास्ते कभी समतल तो

कभी पथरीले नज़र आते हैं

मन का क्या

इन में अरमानो का सागर है

सपनो की दुनिया है

आशाओं की प्रबलता है

कभी न मिल पाने वाली आशा है

आशा तो आशा है हमेशा रहेगी

मंजिल मिले न मिले

आशा हमेशा रहेगी

मंजिले...............

मंगलवार, 22 सितंबर 2009

चाँद







आ चलें हम चाँद पर चलें

हो न कोइ जहां ऐसी जगह चलें

मिले जहां दिल ऐसी जगह चलें

हो न कोई बंदिश ऐसी जगह चलें

न हो अपना कोई न हो बेगाना

जहां हो सिर्फ खुशियों का बसेरा

है कोई ऐसी जगह जहां हम चलें

जहां हो शांति का बसेरा

न हो शिक्वा न हो गिला क्या है कोई ऐसी जगह

जहां हम रह सकें सुकुन से थोड़ा

आ चलें हम चाँद पर चलें

जो यहां नहीं है शायद वहां मिले




खुशी

किसी भी इन्सान को ख़ुशी कब कहां कैसे मिलेगी पता नहीं होता।
हर इन्सान को खुशी को देखने का अपना नजरिया होता है।
कोइ छोटी बातो पर खुश होता है तो किसी को खुश होने के लिए बड़ी वजह चाहिए
होना भी चाहिए क्युकि इसी से तो पता चलता है कि हम सब एक दूसरे से अलग हैं।
हमारी सोच एक दूसरे से अलग हैं लेकिन कहीं न कहीं हम एक दूसरे से जुड़े हुयें हैं।
जो भी हो मैं खुश होना का एक भी मौका को अपने हाथ से नहीं जाने देती
मैं अपनी खुशी को छोटी .छोटी बातों में ढुढं कर खुश हो जाती हुं
मुझे खुश होने के लिए किसी बड़ी वजह की ज़रुरत नहीं होती।
मैं ऐसी ही हुं क्या करुं।
पता नही क्यु कभी कभी लगता है की मैं ही सही हुं।
अगर हम खुश होने के लिए कोई खास वजह चाहेगें तो न शायद हमे ऐसे मौके कम ही मिले
आज के इस भाग दौड़ वाली जिन्दगी मे जहां हर इंसान बस भाग रहा हैं।
ऐसे में कोई किसी की खुशियों का ख्याल क्या रखेगा किसी का हल चाल पूछ ले वही बहुत हैं।
हर किसी को रोज अनेको परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में कोई कितना ख्याल रख पाएगा किसी का।
कैसे दे पाएगा किसी को ढेर सारी खुशियां।
इस लिए अगर आज खुश होना है तो उसे हर छोटी छोटी बातों में खुश होने की वजह खोजो और खुश रहो।
मत करो ज्यादा का इरादा
जो है अपने पास वही है बहुत ज्यादा।

नज़रिया

आकाश से ऊँचा
तुम्हरा अहंकार अच्छा नहीं लगता
सागर से भी गहरी
तुम्हारी भावना मन की
अच्छी नहीं लगती
तुम अपने आप में
युं रहते हो
जैसे दुनियादारी से नाता ही नहीं हैं
ऐसी बाते अच्छी नहीं लगती
तुम झुको तो सही
सभी समान नज़र आएगें
तुम ही हो ऊपर तो सारे
छोटे नज़र आएगें
इतना घमंड अच्छा नहीं लगता।

रविवार, 20 सितंबर 2009

दिलबर


किसी दिलबर से दिल लगा कर हम भी देखेगें


करता है वो हम से मुहबत कितना हम भी देखेगें


आबाद है दुनियां इन आशिकों से करते हैं ये वफा


कितना हम भी देखेगें


गर खुदा है तो खुदायत भी होगी


आशिक है तो दीवानगी भी होगी


मरता है ये दिवाना कितना हम भी देखेगें


किसी दिलबर से दिल लगा कर हम भी देखेगें

मन का.............

किसी ने ठीक ही कहा है कि, मन का हो तो अच्छा मन का न हो तो उससे भी अच्छा,
हमारे सामने या कहें तो हम सब के सामने आए दिन किसी न किसी बात को लेकर हमारे मन मे उधेड़बुन बनी रहती हैं हम लाख चाहे तो भी ये हमारा पीछा नहीं छोड़तें हैं रात दिन बस हम उसी समस्या के बारे में सोचते रहते हैं हमारा किसी काम में मन ही नहीं लगता बस हम और हमारी समस्या उस वक्त ऐसा लगता है मानों काश हमारे पास जादु की छड़ी होती और हम उसे घुमा कर अपनी उलझन सुलझा लेते पर ऐसा सोचने तक ही ठीक है क्यूकिं हकीक़त मे कोई जादु की छड़ी नहीं होती हैं, होती है तो बस हमारी अपने अंदर की वो शक्ति जो हमे हर समस्या से लड़ने की शक्ति देती है, ज़रुरत है बस उस शक्ति को पहचानने की, जो हम सब में विद्धमान हैं यहां तक की वो हमारी मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहता हैं पर जब तक हम उसे नहीं आवाज़ देगें तब तक वो हमारी बात कैसे सुनेगा, जब तक हम उसे नहीं कहेगें वो कैसे सुनेगा, इस लिए जब भी हमारे पास कोई समस्या आए ज़रुरत है अपने अंदर झाकने कि हमारे सारे उलझन,हमारे सारे परेशानियों का हल हमारो अंदर में हैं, मन मे विशवास हो तो हर उलझन सुलझ जाएगी, और तो भी ना हो तो सब कुछ भगवान पर छोड़ देना चाहिए उसके बाद जो होगा आप सोचते थें उससे कहीं ज्यादा अच्छा होगा इस लिए कहते हैं मन का हो तो अच्छा मन का न हो तो उससे भी अच्छा, क्यूकि उसके बाद जो होता है वो सबसे अच्छा होता हैं।

शनिवार, 19 सितंबर 2009

सपने सुहाने



मैं अगर सावन होती तो

रेगिस्तान में बरसती

गर मैं होती आकाश तो

धरती पर छाया बनकर रहती

अगर मैं होती नदी तो

सुखे से जा मिलती

गर मैं होती पतंग तो

धागें से उड़ती

मैं अगर सावन होती तो

रेगिस्तान में बरसती