मंगलवार, 22 सितंबर 2009

चाँद







आ चलें हम चाँद पर चलें

हो न कोइ जहां ऐसी जगह चलें

मिले जहां दिल ऐसी जगह चलें

हो न कोई बंदिश ऐसी जगह चलें

न हो अपना कोई न हो बेगाना

जहां हो सिर्फ खुशियों का बसेरा

है कोई ऐसी जगह जहां हम चलें

जहां हो शांति का बसेरा

न हो शिक्वा न हो गिला क्या है कोई ऐसी जगह

जहां हम रह सकें सुकुन से थोड़ा

आ चलें हम चाँद पर चलें

जो यहां नहीं है शायद वहां मिले




2 टिप्‍पणियां:

  1. शोभा जी संकुन कही नही है चांद पर भी नही, बस है तो एक जगह मां के दरबार में..........

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  2. मिले जहां दिल ऐसी जगह चलें

    हो न कोई बंदिश ऐसी जगह चलें

    न हो अपना कोई न हो बेगाना

    जहां हो सिर्फ खुशियों का बसेरा

    है कोई ऐसी जगह जहां हम चलें
    wah kyaa bat hai bahut achii sunder romantic rachna ke liye bhadahyee


    or deepotsav ki aseem subhkamnayen ke sath

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