मंगलवार, 22 सितंबर 2009

नज़रिया

आकाश से ऊँचा
तुम्हरा अहंकार अच्छा नहीं लगता
सागर से भी गहरी
तुम्हारी भावना मन की
अच्छी नहीं लगती
तुम अपने आप में
युं रहते हो
जैसे दुनियादारी से नाता ही नहीं हैं
ऐसी बाते अच्छी नहीं लगती
तुम झुको तो सही
सभी समान नज़र आएगें
तुम ही हो ऊपर तो सारे
छोटे नज़र आएगें
इतना घमंड अच्छा नहीं लगता।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छा लिखा है मगर इस रचना पर मेरा कुछ भी कहना बहुत मुश्किल है... शुक्रिया. जारी रहें.
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    Till 30-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!

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