आकाश से ऊँचा
तुम्हरा अहंकार अच्छा नहीं लगता
सागर से भी गहरी
तुम्हारी भावना मन की
अच्छी नहीं लगती
तुम अपने आप में
युं रहते हो
जैसे दुनियादारी से नाता ही नहीं हैं
ऐसी बाते अच्छी नहीं लगती
तुम झुको तो सही
सभी समान नज़र आएगें
तुम ही हो ऊपर तो सारे
छोटे नज़र आएगें
इतना घमंड अच्छा नहीं लगता।
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बहुत अच्छा लिखा है मगर इस रचना पर मेरा कुछ भी कहना बहुत मुश्किल है... शुक्रिया. जारी रहें.
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Till 30-09-09 लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
accha likhati hai.aapse seekhanaa padega.prayaas jaari rakhiye.
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