मंगलवार, 22 सितंबर 2009

खुशी

किसी भी इन्सान को ख़ुशी कब कहां कैसे मिलेगी पता नहीं होता।
हर इन्सान को खुशी को देखने का अपना नजरिया होता है।
कोइ छोटी बातो पर खुश होता है तो किसी को खुश होने के लिए बड़ी वजह चाहिए
होना भी चाहिए क्युकि इसी से तो पता चलता है कि हम सब एक दूसरे से अलग हैं।
हमारी सोच एक दूसरे से अलग हैं लेकिन कहीं न कहीं हम एक दूसरे से जुड़े हुयें हैं।
जो भी हो मैं खुश होना का एक भी मौका को अपने हाथ से नहीं जाने देती
मैं अपनी खुशी को छोटी .छोटी बातों में ढुढं कर खुश हो जाती हुं
मुझे खुश होने के लिए किसी बड़ी वजह की ज़रुरत नहीं होती।
मैं ऐसी ही हुं क्या करुं।
पता नही क्यु कभी कभी लगता है की मैं ही सही हुं।
अगर हम खुश होने के लिए कोई खास वजह चाहेगें तो न शायद हमे ऐसे मौके कम ही मिले
आज के इस भाग दौड़ वाली जिन्दगी मे जहां हर इंसान बस भाग रहा हैं।
ऐसे में कोई किसी की खुशियों का ख्याल क्या रखेगा किसी का हल चाल पूछ ले वही बहुत हैं।
हर किसी को रोज अनेको परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में कोई कितना ख्याल रख पाएगा किसी का।
कैसे दे पाएगा किसी को ढेर सारी खुशियां।
इस लिए अगर आज खुश होना है तो उसे हर छोटी छोटी बातों में खुश होने की वजह खोजो और खुश रहो।
मत करो ज्यादा का इरादा
जो है अपने पास वही है बहुत ज्यादा।

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