किसी ने ठीक ही कहा है कि, मन का हो तो अच्छा मन का न हो तो उससे भी अच्छा,
हमारे सामने या कहें तो हम सब के सामने आए दिन किसी न किसी बात को लेकर हमारे मन मे उधेड़बुन बनी रहती हैं हम लाख चाहे तो भी ये हमारा पीछा नहीं छोड़तें हैं रात दिन बस हम उसी समस्या के बारे में सोचते रहते हैं हमारा किसी काम में मन ही नहीं लगता बस हम और हमारी समस्या उस वक्त ऐसा लगता है मानों काश हमारे पास जादु की छड़ी होती और हम उसे घुमा कर अपनी उलझन सुलझा लेते पर ऐसा सोचने तक ही ठीक है क्यूकिं हकीक़त मे कोई जादु की छड़ी नहीं होती हैं, होती है तो बस हमारी अपने अंदर की वो शक्ति जो हमे हर समस्या से लड़ने की शक्ति देती है, ज़रुरत है बस उस शक्ति को पहचानने की, जो हम सब में विद्धमान हैं यहां तक की वो हमारी मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहता हैं पर जब तक हम उसे नहीं आवाज़ देगें तब तक वो हमारी बात कैसे सुनेगा, जब तक हम उसे नहीं कहेगें वो कैसे सुनेगा, इस लिए जब भी हमारे पास कोई समस्या आए ज़रुरत है अपने अंदर झाकने कि हमारे सारे उलझन,हमारे सारे परेशानियों का हल हमारो अंदर में हैं, मन मे विशवास हो तो हर उलझन सुलझ जाएगी, और तो भी ना हो तो सब कुछ भगवान पर छोड़ देना चाहिए उसके बाद जो होगा आप सोचते थें उससे कहीं ज्यादा अच्छा होगा इस लिए कहते हैं मन का हो तो अच्छा मन का न हो तो उससे भी अच्छा, क्यूकि उसके बाद जो होता है वो सबसे अच्छा होता हैं।
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bahut khoobsoorat!
जवाब देंहटाएं"man ka ho to achchha,na ho to or bhee achchha" wah! kya bat hai.narayan narayan
जवाब देंहटाएंआप सभी को शुक्रिया
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया, मन में हो तो अच्छा और न हो तो बहुत अच्छा
जवाब देंहटाएंचाहत में लिखे शब्द सुन्दर हैं। बहुत सुन्दर रचना के लिये बधाई। ब्लॉग जगत में स्वागत हैं आपका.........आपको हमारी शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंसतत लेखन के लिए बधाई। मेरे ब्लोग पर भी कुछ है।
चाहत में लिखे शब्द सुन्दर हैं। बहुत सुन्दर रचना के लिये बधाई।
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