गुरुवार, 20 अगस्त 2009

आसमान







आसमान तुझॆ अपनी ऊंचाई पर घमंड है
या तुझॆ लगता है डर
इतनी ऊंचाई पर हो कर भी तु रहता है कितना विनम्र
दॆता हमॆं पानी और अपनी आगोशों की छुपी रोशनी
तु है हमारा जीवन रक्षक
तु ही है धरती का तारण हार।
आसमान तुझॆ अपनी उंचाई पर है घमंड
या तुझॆ लगता है डर।

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