समय निकाल कर गौर फरमा लो
हम तुम्हॆ याद करते हैं फोन उठा लो
इतनी भी क्या बॆरुखी अपनो सॆ
हम तुम्हारॆ अपनॆ हैं कोई गैर नहीं
आज के इस युग में मुझे ये समझ में आया है, सोचूं जिसे अपना वो गैर नजर आया है, कर सकूं भरोसा ऐसा कोई मिल जाए, अपना न सही अपने जैसा मिल जाए, इस दिल में उम्मीदों की कमी नहीं है, पर मैं आँख बंद कर, कर लूं भरोसा ऐसा कोई मिला तो नहीं हैं,
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