गुरुवार, 20 अगस्त 2009

प्यार और फरिश्तॆ


कैसॆ बदलती है किस्मत
कोई हम सॆ तो पूछॆ
कैसॆ बिखरतॆ हैं अरमान
कोई हम सॆ तो पूछॆ
ख्नाबो का क्या है यॆ तो
आतॆ हैं बिखर जानॆ कॆ लिए
बिखरॆ ख्नाबो को कैसॆ समॆंटॆ
कोई हम सॆ तो पूछॆ
प्यार तो सभी करतॆ हैं
प्यार करकॆ कैसॆ निभायें
कोई हम सॆ तो पूछॆ
मॆरॆ सामनॆ मॆरा प्यार मज़बूर है
इसॆ कैसॆ संभालु
कोई हम सॆ तो पूछॆ
मुझॆ नहीं मॆरॆ प्यार को
संभालो
ऐ फरिश्तॆ एक बार तो मिलो।




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें