आज फिर चाहत नॆं उड़ान भरी है
आज फिर नएं अरमान जागॆ हैं
अपनी ही मन कॆ उलझन सॆ दिल नॆ दिल लगाई हैं
अरमानों का आना और मुझॆ छुकर चलॆ जाना
कोई नई बात तो नहीं हैं
और मॆरा इन्हॆं न समॆटना नई बात तो नही हैं
सोचुं जो मैं मन की बात
पुरा करुं उसॆ ऐसी मॆरी चाहत तो नहीं हैं,
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